भारत देश में सालभर सूरज दिखाई देता है, वहीं विटामिन-डी की कमी की एक ऐसी तस्वीर वाकई चौंकाने वाली है। जहां एक ओर धूप बिल्कुल मुफ्त है, दूसरी ओर इसी धूप से मिलने वाला विटामिन-डी हमारी हड्डियों, मांसपेशियों और इम्युनिटी के लिए बेहद ज़रूरी है। फिर भी शहरीकरण, प्रदूषण और भागदौड़ वाली आधुनिक लाइफस्टाइल ने हमें घरों और ऑफिस की चारदीवारी में ऐसा बंद किया कि धूप से दोस्ती ही खत्म हो गई।
20 की उम्र में भी हड्डियां कहने लगीं – “अब और नहीं!
कुछ दशक पहले जो बीमारियां 50-60 की उम्र में दस्तक देती थीं, अब वो 20 की उम्र में ही नॉक-नॉक करने लगी हैं! आजकल अस्पतालों की OPD में कम उम्र के युवाओं में आर्थराइटिस और हड्डियों के दर्द की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं। डॉक्टर्स इसका बड़ा कारण मानते हैं कि विटामिन-डी की भारी कमी से ही यह समस्याएं हो रही है।
आम लोगों को चौंका रहे है आंकड़े
देश के अलग-अलग हिस्सों में विटामिन डी की कमी से मिलने वाले मरीजों की संख्या अलग-अलग है। लेकिन एक नजर में यदि हम देखें तो उत्तर भारत में जहां 9.4% लोग इस कमी से जूझ रहे हैं, वहीं पूर्वी भारत में ये आंकड़ा 39% तक पहुंच चुका है। विगत वर्ष में 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 49 करोड़ लोग विटामिन-डी की कमी से पीड़ित थे। लेकिन अब देश का पाचंवा हर एक व्यक्ति विटामिन डी की कमी से जुझ रहा है।
खामोशी से बढ़ रही बीमारी, असर सेहत के हर कोने पर
विटामिन-डी की कमी सिर्फ हड्डियों की कमजोरी या ऑस्टियोपोरोसिस ही नहीं लाती, बल्कि ये धीरे-धीरे कई बड़ी बीमारियां भी लाती है। विटामिन डी कि कमी से मांसपेशियों की कमजोरी के साथ ही थकान और डिप्रेशन आ जाता है इसके साथ ही दिल की बीमारी और टाइप-2 डायबिटीज यहां तक कि स्तन और प्रोस्टेट कैंसर तक जैसी खतरनाक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
करें फिर से धूप से दोस्ती
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो इस ‘साइलेंट महामारी’ से बचने के लिए कुछ आसान और स्मार्ट तरीके अपनाने की जरूरत है। जैसे सुबह की धूप में 10-15 मिनट वॉक करें इसके साथ ही दूध, दही, नट्स और हरी सब्जियों को डाइट में शामिल करें आउटडोर टाइम बढ़ाएं और फिजिकल एक्टिविटी करें इसकों लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) भी कहता है कि “सूरज से मत भागो, उससे दोस्ती करो!”